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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

पर साधारणतः लोग दो चरणों को ही (जिन्हें वास्तव में अर्धाली कहते हैं) चौपाई कहते और मानते हैं । मात्रिक के अतिरिक्त कुछ चौपाइयाँ ऐसी भी होती हैं जो वर्णवृत्त के अंतर्गत आती हैं और जिनके अनेक भेद और भिन्न भिन्न नाम हैं । उनका वर्णन अलग अलग दिया गया है । †

२. चारपाई । खाट ।

पर ^१ वि॰ [सं॰]

१. दूसरा । अन्य । और । अपने को छोड़ शेष । स्वातिरिक्त । गैर । परलोक । उ॰—पर उपदेश कुसल बहु- तेरे । जे आचरहि ते नर न धनेरे ।—तुलसी (शब्द॰) । यौ॰—परपीड़न । परोपकार ।

२. पराया । दूसरे का । जो अपना न हो । जैसे, पर द्रव्य, पर पुरुष, पर पीड़ा ।

३. भिन्न । जुदा । अतिरिक्त ।

४. पीछे का । उत्तर । बाद का । जैसे, पूर्व और पर ।

५. जो सीमा के बाहर हो । यौ॰—परब्रह्म ।

६. आगे बढ़ा हुआ । सबके ऊपर । श्रेष्ठ ।

७. प्रवृत्त । लीन । तत्पर । जैसे, स्वार्थपर (केवल समास में) ।

पर ^२ प्रत्य॰ [सं॰ उपरि] सप्तमी या अधिकरण कारक का चिह्न । जैसे—(क) वह घर पर नहीं है । (ख) कुरसी पर बैठो ।

पर ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ पर]

१. शत्रु । बैरी । दुश्मन । यौ॰—परतप ।

२. शिव ।

३. ब्रह्म ।

४. ब्रह्मा ।

५. मोक्ष ।

६. न्याय में जाति या समान्य के दो भेदों में से एक । द्रव्य । गुण और कर्म की वृत्ति या सत्ता ।

७. ब्रह्मा की आयु (को॰) ।

पर ^४ अव्य॰ [सं॰ परम्]

१. पश्चात् । पीछे । जैसे,—इसपर वे उठकर चले गए ।

४. एक शब्द जो किसी वाक्य के साथ उससे अन्यथा स्थिति सूचित करनेवाला वाक्य के कहने के पहले लाया जाता है । परंतु । किंतु । लेकिन । तो भी । जैसे,—(क) मैने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानता । (ख) तबीयत तो नहीं अच्छी है पर जायँगे ।

पर ^५ संज्ञा पुं॰ [फा॰] चिड़ियों का डैना और उसपर के धुए या रोएँ । पंख । पक्ष । मुहा॰—पर कट जाना = /?/ या बल का आधार न रह जाना । अशक्त हो जाना । कुछ करने धरने लायक न रह जाना ।

पर काट देना = अशक्त कर देना । कुछ करने धरने लायक न रखना । पर कैंच करना = पंख कतरना । (कबुतरबाज) । पर जमना = (१) पर निकलना । (२) जो पहले सीधा सादा रहा हो उसे शरारत सूझना । धूर्तता, चालाकी, दुष्टता आदि पहले पहल आना । (कहीं जाते हुए) पर जलना = (१) हिम्मत न होना । साहस न होना । (२) गति न होना । पहुँच न होना । जैसे,—वहाँ जाते बड़े बड़ों के पर जलते हैं, तुम्हारी क्या गिनती है? पर झाड़ना = (१) पुराने परों का गिराना । (२) पख फटफटाना । डैनों को हिलाना । पर टूटना = दे॰ 'पर जलना' । पर टूट जाना = दे॰ 'पर कट जाना' । पर न मारना = पैर न रख सकना । जा न सकना । फटक न सकना । चिड़िया पर नहीं मार सकती = कोई जा नहीं सकता । किसी की पहुँच नहीं हो सकती । पर निकालना = (१) पंखों से युक्त होना । उड़ने योग्य होना । (२) बढ़कर चलना । इतराना । अपने को कुछ प्रकट करना । पर और बाल निकलना = (१) सीधा सादा न रहना । बहुत सी बातों को समझने बूझने लगना । कुछ कुछ चालाक होना । (२) उपद्रव करना । ऊधम मचाना । पर बाँध देना = उड़ने की शक्ति न रहने देना । बेबस कर देना ।