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दीपक शर्मा

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दीपक शर्मा

दीपक शर्मा (जन्म ३० नवंबर १९४६) हिन्दी की जानी मानी कथाकार हैं। उन्होंने चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय से अँग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। उनके पिता आल्हासिंह भुल्लर पाकिस्तान के लब्बे गाँव के निवासी थे तथा माँ मायादेवी धर्मपरायण गृहणी थीं।[1] १९७२ में उनका विवाह श्री प्रवीण चंद्र शर्मा से हुआ जो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। संप्रति वे लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के अंग्रेज़ी विभाग में वरिष्ठ प्रवक्ता हैं।

प्रकाशित कृतियाँ

कहानी संग्रह-

हिंसाभास, दुर्गभेद, परखकाल, रण-मार्ग, बवंडर, उत्तरजीवी, आतिशी शीशा, आपदधर्म तथा अन्य कहानियाँ, चाबुक सवार और रथक्षोभ आदि।

समालोचना

समाज के उपेक्षित वर्ग पर तीखी नज़र रखने वाली दीपक शर्मा नपे-तुले शब्दों में इतना व्यापक परिवेश, इतनी व्यापक संवेदनाएँ और ऐसी चुनी हुई शब्द संरचना प्रस्तुत करती हैं जो समसामयिक लेखकों में उनकी अलग पहचान बनाती है।[2] उनके पात्र अशांत, पीड़ित, समाज द्वारा ठुकराए हुए लोग हैं। उनकी कहानियों का कटु यथार्थ चौंकाता है, प्रश्न छोड़ता है और सोचने के लिए विवश करता है। पर उनके कथन में सादगी है। कहीं कहीं वायवीय शब्दजाल आते हैं पर वे उस परिस्थिति के परिणाम हैं जहाँ पात्र स्वयं उस उस वायवीयता में उलझा होता है।[3] उनकी कहानियों में विविध भंगिमाएँ हैं जो संवेदनात्मक गहराई के साथ आकार लेती हैं। रिश्तों के आपसी तालमेल और तनाव दोनो को वे एक सी सहजता के साथ चित्रित करती हैं। वे विवादात्मक मुद्दों को अतीव शालीनता से निभाती हैं, दोनो पक्षों को ईमानदारी के साथ सामने रखती हैं और अपनी राय दिये बिना सिरे को पाठक के निर्णय के लिए खुला छोड़ देती हैं। निर्मल वर्मा ने उनके विषय में एक स्थान पर लिखा है कि उनकी कहानियाँ विस्मित करती है। बहुत सारे सामाजिक पक्ष जो हिंदी लेखन में अछूते हैं उन्हें दीपक शर्मा लगातार अपनी कहानियों का विषय बनाती रही हैं।[4]

सन्दर्भ

  1. सिंह, विद्या बिंदु (नवंबर २००७). संस्मरण- जिन्हें नेपथ्य में रहना पसंद है. नई दिल्ली: नया ज्ञानोदय. पृ॰ ८४. नामालूम प्राचल |accessday= की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonth= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)
  2. "दीपक शर्मा" (एचटीएमएल). अभिव्यक्ति. नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonthday= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  3. सिंह, विद्या बिंदु (नवंबर २००७). संस्मरण- जिन्हें नेपथ्य में रहना पसंद है. नई दिल्ली: नया ज्ञानोदय. पृ॰ ८३. नामालूम प्राचल |accessday= की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonth= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)
  4. विमल, गंगा प्रसाद (नवंबर २००७). दीपक शर्मा की कहानियों पर बहस होनी चाहिए. नई दिल्ली: नया ज्ञानोदय. पृ॰ ७८. नामालूम प्राचल |accessday= की उपेक्षा की गयी (मदद); नामालूम प्राचल |accessyear= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद); नामालूम प्राचल |accessmonth= की उपेक्षा की गयी (|access-date= सुझावित है) (मदद)