स्क्रैमजेट रॉकेट इंजन
साँचा:Seriesbox aircraft propulsion
परिचय
[संपादित करें]भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधन संगठन (इसरो) ने 28 अगस्त 2016 को स्क्रैमजेट इंजन का सफलतापूर्क परीक्षण किया। इसे सुपरसोनिक कॉमब्यूशन रैमजेट इंजन के नाम से भी जाना जाता है। इस इंजन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) में हाईपरसोनिक स्पीड (ध्वनि की गति से तेज) पर इस इंजन का उपयोग किया जाएगा। इस टेस्ट के साथ ही भारत ने नासा, रूस और यूरोपियन यूनियन की बराबरी कर ली है।
इस स्क्रैमजेट इंजन का वजन 3,277 किलोग्राम है। रॉकेट को जमीन से 20 किलोमीटर ऊपर भेजा गया। वहां इंजन ने लिक्विड हाइड्रोजन फ्यूल को जलाने के लिए 5 सेकंड तक एटमॉस्फियर से ऑक्सीजन ली। इसके बाद वह बंगाल की खाड़ी में गिर गया।
स्क्रैमजेट इंजन की विशेषताएं
[संपादित करें]- यह वजन में हल्का होने के कारण अन्तरिक्ष खर्च में लगभग 90 प्रतिशत की कमी आएगी।
- यह एयर ब्रीदिंग टेक्नोलॉजी पर काम करेगा।
- रॉकेट से अधिक पेलोड भेजा जा सकेगा तथा इसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा।
- स्क्रैमजेट इंजन की सहायता से रॉकेट ध्वनि के मुकाबले छह गुना तेज़ी से आगे बढ़ सकता है।
- इसे तिरुअनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में विकसित किया गया।
इंजन के लाभ
[संपादित करें]इस तकनीक के पूर्णतया विकसित हो जाने पर आकार में बड़े सेटेलाईटों को छोटे वाहन से भी प्रक्षेपित किया जा सकेगा। एयर ब्रीदिंग प्रोपलज़न सिस्टम (एबीपीएस) वातावरण से ही ऑक्सीजन लेकर रॉकेट में ईंधन भरता है जिससे इसकी कार्यप्रणाली और भी आसान हो जाती है। वर्तमान ईंजन रॉकेट के ईंधन के रूप में ऑक्सीडाईजिंग एजेंट्स का उपयोग किया जाता है जिससे वाहन भारी हो जाता है एवं इसकी लागत भी अधिक हो जाती है।
एडवांस्ड टेक्नोलॉजी व्हीकल (एटीवी)
[संपादित करें]एटीवी दो स्टेज का लॉन्चर है जो सॉलिड मोटर से कार्य करता है, इसमें रोहिणी आरएच 560 साउंडिंग रॉकेट का उपयोग किया जाता है। यह तीन टन के साउंडिंग रॉकेट आरच-560 सुपरसोनिक कम्बशन रैमजेट पर आधारित होता है।